सूखी होली हो हमारा ध्येय...

जल बचाएं, अपना कल बचाएं
Holi Festival In Hindi
ND


जल बचाएं, अपना कल बचाएं। 
न करें जल का दुरूपयोग। 
सूखी होली सबसे अच्छी, सबसे सच्ची। 

होली का पर्व यानी उल्लास-उमंग और सद्भाव का पर्व। इस त्योहार पर आपसी दूरियां कम हो जाती हैं और भाईचारा बढ़ता है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस त्योहार को मनाने के गलत तरीकों से हम अपने साथ ही समाज का भी नुकसान करते हैं। जल का दुरूपयोग भी इसी श्रेणी में आता है, लिहाजा इस बार होली के पर्व पर जल संचय का संदेश भी दें।

होली का पर्व आपसी स्नेह और भाईचारे का प्रतीक है। जरूरी नहीं कि पानी का दुरूपयोग कर ही इस त्योहार का मजा लिया जाए। हमें विगत वर्षों के जल संकट से सबक लेना चाहिए। जल संचय जीवन के लिए बहुत जरूरी है, साथ ही यह शहर के विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। अत: सभी लोग होली के त्योहार पर सूखे रंगों का उपयोग करें और जल के दुरूपयोग से बचें। 

* संत कबीरदासजी ने कहा है कि पानी चला जाने के बाद मोती, मानव और चूना नष्ट हो जाते है। जीवन के लिए आवश्यक पंच तत्वों में प्रधान जल के संचय के लिए प्रति हमें जागरूक होना ही होगा। यह दुर्भाग्य ही है कि पानी बचाने का हम संकल्प तो लेते हैं, पर उस पर गंभीरता से अमल नहीं करते हैं। इस बार सूखी होली खेलकर इस संकल्प की पूर्ति करें। जल रहेगा तो कल सुरक्षित रहेगा।

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* जल ही जीवन है की तर्ज पर पानी का दुरूपयोग किए बिना ही होली खेलें। सूखी होली खेलने से हम भीषण जल संकट से बच सकेंगे। 

* इसी प्रकार जल संचय करके ही हम अपनी विकास दर निरंतर रख सकते हैं। इस बार की होली पर सिर्फ गुलाल और सूखे रंगों का उपयोग करें, जल के दुरूपयोग और अनावश्यक विवादों से बचें। दोनों ही सतर्कता सुखद भविष्य के लिए जरूरी है। इसलिए सूखी होली खेलना ही सार्थक साबित होगी।

इसीलिए होली के रंग तो खूब उड़ें मगर सूखे...। यदि कल भी हमें सुखी रहना है तो होली के उल्लास में पानी उड़ेंलने के बजाए सूखी होली मनाने का ध्येय रखना चाहिए।

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